जीवन में निराशा से बड़ा , कोई श्राप नहीं है। Swami Vivekanand
पवित्रता ,विवेक और स्वयं का अध्ययन , यह तीन गुण है जिससे व्यक्ति को, सफलता मिलती है लेकिन , इन सभी से ऊपर है प्रेम। Swami Vivekanand
जिंदगी फूलों की शय्या नहीं है। संघर्ष का एक मैदान है। Swami Vivekanand
जीवन का रहस्य भोग में नहीं , अनुभव के द्वारा शिक्षा प्राप्त , करने में है। Swami Vivekanand
जिसने अपनापन खोया , उसने सब कुछ खो दिया। Swami Vivekanand
चरित्र का निर्माण करना मनुष्य की पहली आवश्यकता है। Swami Vivekanand
स्वभाव के अनुसार तरक्की कीजिए, संस्कार खुद आपके पास आ जाएंगे। Swami Vivekanand
केवल वही मनुष्य सब की, उपेक्षा उत्तम रूप से करता है , जो पूर्णतया निस्वार्थ है , जिसे ना धन का लालच , ना कीर्ति का और ना , अन्य किसी वस्तु का है । Swami Vivekanand